Durga ji

Durga, in Sanskrit means "She who is incomprehensible or difficult to reach." Goddess Durga is a form of Sakti worshiped for her gracious as well as terrifying aspect. Mother of the Universe, she represents the infinite power of the universe and is a symbol of a female dynamism. The manifestation of Goddess Durga is said to emerge from Her formless essence and the two are inseparable.

108 Names of Hanuman Ji

Lord Hanuman is the epitome of devotion and dedication towards his Lord Rama. Shri Hanuman is considered as the avatar or incarnation of Lord Shiva. Hanuman is also known as the Monkey God,

vishu ji

Vishnu is one of the three main gods in Hinduism. Vaishnavas believe that Vishnu is the highest God. Vishnu is the preserver god, which means he protects the earth from being destroyed and keeps it going, according to this religion, and he has come to earth in nine forms (called avatars) so far, with one yet to come. His most famous forms are Rama and Krishna. Vishnu’s wife is Lakshmi, the Hindu goddess of fortune.Vishnu is usually shown with light blue skin and four arms.

Shri krishna the person

The Vedas say Krishna is the original person, but that He always appears young and attractive. He knows everything, He contains all of reality, and all other living beings are His inseparable parts. He is the all-powerful, supreme controller of all energies.

bhagwat geet updesh

Gita made little religious impact until Shankaracharya's commentary appeared. From this time onward, it had an important influence on Hinduism. Krishna, presented in the poem as Vishnu in the flesh, is the spiritual teacher who recited the Gita. The Bhagvad-Gita consists of a dialogue between Krishna and Arjun on the battlefield of Kurukshetra.

Wednesday, November 9, 2011

Lord Shiv Chalisa

 
Jai Ganesh Girija Suvan
Mangal Mul Sujan
Kahat Ayodhya Das
Tum Dey Abhaya Varadan

Jai Girija Pati Dinadayala
Sada Karat Santan Pratipala
Bhala Chandrama Sohat Nike
Kanan Kundal Nagaphani Ke

Anga Gaur Shira Ganga Bahaye
Mundamala Tan Chhara Lagaye
Vastra Khala Baghambar Sohain
Chhavi Ko Dekha Naga Muni Mohain

Maina Matu Ki Havai Dulari
Vama Anga Sohat Chhavi Nyari
Kara Trishul Sohat Chhavi Bhari
Karat Sada Shatrun Chhayakari

Nandi Ganesh Sohain Tahan Kaise
Sagar Madhya Kamal Hain Jaise
Kartik Shyam Aur Gana rauo
Ya Chhavi Ko Kahi Jata Na Kauo

Devan Jabahi Jaya Pukara
Tabahi Dukha Prabhu Apa Nivara
Kiya Upadrav Tarak Bhari
Devan Sab Mili Tumahi Juhari

Turata Shadanana Apa Pathayau
Luv nimesh Mahi Mari Girayau
Apa Jalandhara Asura Sanhara
Suyash Tumhara Vidit Sansara

Tripurasur Sana Yudha Machai
Sabhi Kripakar Lina Bachai
Kiya Tapahin Bhagiratha Bhari
Purahi Pratigya Tasu Purari

Darpa chod Ganga thabb Aayee
Sevak Astuti Karat Sadahin
Veda Nam Mahima Tav Gai
Akatha Anandi Bhed Nahin Pai

Pragati Udadhi Mantan te Jvala
Jarae Sura-Sur Bhaye bihala
Mahadev thab Kari Sahayee,
Nilakantha Tab Nam Kahai

Pujan Ramchandra Jab Kinha
Jiti Ke Lanka Vibhishan Dinhi
Sahas Kamal Men Ho Rahe Dhari
Kinha Pariksha Tabahin Purari

Ek Kamal Prabhu Rakheu goyee
Kushal-Nain Pujan Chahain Soi
Kathin Bhakti Dekhi Prabhu Shankar
Bhaye Prasanna Diye-Ichchhit Var

Jai Jai Jai Anant Avinashi
Karat Kripa Sabake Ghat Vasi
Dushta Sakal Nit Mohin Satavai
Bhramat Rahe Man Chain Na Avai

Trahi-Trahi Main Nath Pukaro
Yahi Avasar Mohi Ana Ubaro
Lai Trishul Shatrun Ko Maro
Sankat Se Mohin Ana Ubaro

Mata Pita Bhrata Sab Hoi
Sankat Men Puchhat Nahin Koi
Swami Ek Hai Asha Tumhari
Ai Harahu Ab Sankat Bhari

Dhan Nirdhan Ko Deta Sadahin
Arat jan ko peer mitaee,
Astuti Kehi Vidhi Karai Tumhari
Shambhunath ab tek tumhari

Dhana Nirdhana Ko Deta Sadaa Hii
Jo Koi Jaanche So Phala Paahiin
Astuti Kehi Vidhi Karon Tumhaarii
Kshamahu Naatha Aba Chuuka Hamaarii

Shankar Ho Sankat Ke Nashan
Vighna Vinashan Mangal Karan
Yogi Yati Muni Dhyan Lagavan
Sharad Narad Shisha Navavain

Namo Namo Jai Namah Shivaya
Sura Brahmadik Par Na Paya
Jo Yah Patha Karai Man Lai
To kon Hota Hai Shambhu Sahai

Riniyan Jo Koi Ho Adhikari
Patha Karai So Pavan Hari
Putra-hin Ichchha Kar Koi
Nischaya Shiva Prasad Tehin Hoi

Pandit Trayodashi Ko Lavai
Dhyan-Purvak Homa Karavai
Trayodashi Vrat Kare Hamesha
Tan Nahin Take Rahe Kalesha

Dhuupa Diipa Naivedya Chadhaave
Shankara Sammukha Paatha Sunaave
Janma Janma Ke Paapa Nasaave
Anta Dhaama Shivapura Men Paave

Dohaa

Nitya Nema kari Pratahi
Patha karau Chalis
Tum Meri Man Kamana
Purna Karahu Jagadisha

शिव चालिसा

 
 
जय गणेश गिरिजासुवन,मंगल मूल सुजान, कहत अयोध्यादास तुम,देउ अभय वरदान|

जय गिरिजापति दीनदयाला, सदा  करत  सन्‍तन  प्रतिपाला|

भाल चन्द्रमा सोहत नीके, कानन कुण्‍डल नागफनी के|

अंग गौर सिर गंग बहाये, मुण्‍डमाल तन क्षार लगाये|

वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे, छवि को देख नाग मुनि मोहे|

मैना मातु कि हवै दुलारी, वाम अंग सोहत छवि न्‍यारी|

कर त्रिशूल सोहत छवि भारी, करत सदा शत्रून  क्षयकारी|

नंदि गणेश सोहैं तहँ कैसे, सागर मध्य कमल हैं जैसे|

कार्तिक श्याम और गणराऊ, या छवि को कहि जात न काऊ|

देवन जबहिं जाय पुकारा, तबहिं दुःख प्रभु आप निवारा|

कियो उपद्रव तारक भारी, देवन सब मिली तुमहिं जुहारी|

तुरत  षडानन  आप  पठायउ, लव  निमेष महँ मारि  गिरयउ|

अप  जलंधर असुर  संहारा, सुयश  तुम्हार  विदित संसारा|

त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई, तबहिं कृपा करि लीन बचाई|

किया तपहिं भागीरथ भारी, पूरव प्रतिज्ञा तासु पुरारी|

दानिन महँ तुम सम कोई नाहीं, सेवक स्तुति  करत  सदाहीं|

वेद माहि महिमा तब गाई, अकथ अनादि भेद नहीं पाई|

प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला, जरत सुरासुर भए विहाला|

कीन्‍ह दया तहँ करी  सहाई, नीलकंठ तव नाम कहाई|

पूजन  रामचन्‍द्र जब  कीन्हा, जीत के लंक विभीषण दीन्हा|

सहस  कमल में हो रहे धारी, कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी| 

एक कमल प्रभु राखेउ गोई, कमल नयन पूजन चहँ सोई|

कठिन  भक्ति  देखी प्रभु शंकर, भये प्रसन्न दिये इच्छित वर|

जय जय जय अनन्‍त  अविनाशी, करत  कृपा  सबके  घट वासी|

दुष्ट  सकल नित मोहि सतावैं, भ्रमत रहौं मोहे चैन न आवै|

त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो, येहि अवसर मोहि आन उबारो|

ले त्रिशूल शत्रून को मरो, संकट ते मोहि आन उबारो|

माता  पिता  भ्राता सब होई, संकट में पूछत नहीं कोई|

स्वामी  एक है आस तुम्हारी, आय हरहु मम संकट भारी|

धन निर्धन को देत सदाहीं, जो कोई जाँचे सो फल पाहीं|

अस्तुति  केहि विधि करौं तुम्हारी, क्षमहु नाथ अब चूक हमारी|

शंकर  हो  संकट  के  नाशन, विघ्न  विनाशन  मंगल  कारन|

योगी यति मुनि ध्यान लगावैं, नारद सारद शीश नवावैं|

नमो  नमो  जय नमः शिवाय, सुर  ब्रह्मादिक पार न पाय|

जो यह पाठ करे मन लाई, ता पर होत हैं  शम्भु सहाई|

ऋनियाँ जो कोई हो अधिकारी, पाठ करै सो पावन हारी|

पुत्र  होन कर इच्छा कोई, निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई|

पंण्‍डित त्रयोदशी  को  लावै, ध्यान पूर्वक होम करावे|

त्रयोदशी व्रत करै हमेशा, तन  नहिं ताके रहै कलेशा|

धूप दीप नैवेध चढावै, शंकर  सम्‍मुख पाठ सुनावै|

जन्‍म  जन्‍म  के पाप नसावै, अन्त धाम शिवपुर में पावै|

 कहत अयोध्‍यादास आस तुम्हारी, जानि सकल दुःख हरहु  हमारी|

श्री गणेश चालीसा

 
जय गणपति सदगुणसदन, कविवर बदन कृपाल।
विघ्न हरण मंगल करण, जय जय गिरिजालाल॥

जय जय जय गणपति गणराजू।मंगल भरण करण शुभ काजू ॥
जै गजबदन सदन सुखदाता। विश्व विनायक बुद्घि विधाता॥
वक्र तुण्ड शुचि शुण्ड सुहावन। तिलक त्रिपुण्ड भाल मन भावन॥
राजत मणि मुक्तन उर माला। स्वर्ण मुकुट शिर नयन विशाला॥
पुस्तक पाणि कुठार त्रिशूलं । मोदक भोग सुगन्धित फूलं ॥
सुन्दर पीताम्बर तन साजित । चरण पादुका मुनि मन राजित ॥
धनि शिवसुवन षडानन भ्राता । गौरी ललन विश्वविख्याता ॥
ऋद्घिसिद्घि तव चंवर सुधारे । मूषक वाहन सोहत द्घारे ॥
कहौ जन्म शुभकथा तुम्हारी । अति शुचि पावन मंगलकारी ॥
एक समय गिरिराज कुमारी । पुत्र हेतु तप कीन्हो भारी ॥
भयो यज्ञ जब पूर्ण अनूपा । तब पहुंच्यो तुम धरि द्घिज रुपा ॥
अतिथि जानि कै गौरि सुखारी । बहुविधि सेवा करी तुम्हारी ॥
अति प्रसन्न है तुम वर दीन्हा । मातु पुत्र हित जो तप कीन्हा ॥
मिलहि पुत्र तुहि, बुद्घि विशाला । बिना गर्भ धारण, यहि काला ॥
गणनायक, गुण ज्ञान निधाना । पूजित प्रथम, रुप भगवाना ॥
अस कहि अन्तर्धान रुप है । पलना पर बालक स्वरुप है ॥
बनि शिशु, रुदन जबहिं तुम ठाना। लखि मुख सुख नहिं गौरि समाना ॥
सकल मगन, सुखमंगल गावहिं । नभ ते सुरन, सुमन वर्षावहिं ॥
शम्भु, उमा, बहु दान लुटावहिं । सुर मुनिजन, सुत देखन आवहिं ॥
लखि अति आनन्द मंगल साजा । देखन भी आये शनि राजा ॥
निज अवगुण गुनि शनि मन माहीं । बालक, देखन चाहत नाहीं ॥
गिरिजा कछु मन भेद बढ़ायो । उत्सव मोर, न शनि तुहि भायो ॥
कहन लगे शनि, मन सकुचाई । का करिहौ, शिशु मोहि दिखाई ॥
नहिं विश्वास, उमा उर भयऊ । शनि सों बालक देखन कहाऊ ॥
पडतहिं, शनि दृग कोण प्रकाशा । बालक सिर उड़ि गयो आकाशा ॥
गिरिजा गिरीं विकल है धरणी । सो दुख दशा गयो नहीं वरणी ॥
हाहाकार मच्यो कैलाशा । शनि कीन्हो लखि सुत को नाशा ॥
तुरत गरुड़ चढ़ि विष्णु सिधायो । काटि चक्र सो गज शिर लाये ॥
बालक के धड़ ऊपर धारयो । प्राण, मन्त्र पढ़ि शंकर डारयो ॥
नाम गणेश शम्भु तब कीन्हे । प्रथम पूज्य बुद्घि निधि, वन दीन्हे ॥
बुद्घ परीक्षा जब शिव कीन्हा । पृथ्वी कर प्रदक्षिणा लीन्हा ॥
चले षडानन, भरमि भुलाई। रचे बैठ तुम बुद्घि उपाई ॥
चरण मातुपितु के धर लीन्हें । तिनके सात प्रदक्षिण कीन्हें ॥
धनि गणेश, कहि शिव हिय हरषे,नभ ते सुरन सुमन बहु बरसे ॥
तुम्हरी महिमा बुद्घि बड़ाई । शेष सहसमुख सके न गाई ॥<
मैं मतिहीन मलीन दुखारी । करहुं कौन विधि विनय तुम्हारी ॥
भजत रामसुन्दर प्रभुदासा । जग प्रयाग, ककरा, दुर्वासा ॥
अब प्रभु दया दीन पर कीजै । अपनी भक्ति शक्ति कछु दीजै ॥॥

श्री गणेश यह चालीसा, पाठ करै कर ध्यान।नित नव मंगल गृह बसै, लहे जगत सन्मान॥
सम्बन्ध अपने सहस्त्र दश, ऋषि पंचमी दिनेश।पूरण चालीसा भयो, मंगल मूर्ति गणेश ॥

श्री हनुमान चलीसा

दोहा


श्रीगुरु चरन सरोज रज निज मनु मुकरु सुधारि ।

बरनऊँ रधुबर बिमल जसु जो दायक फल चारि ॥



बुद्धिहीन तनु जानिके सुमिरौं पवनकुमार ।

बल बुद्धित बिद्या देहु मोहिं हरहु कलेस बिकार ॥


जय हनुमान ज्ञान गुन सागर । जय कपीस तिहुँ लोक उजागर ॥

राम दूत अतुलित बल धामा । अंजनिपुत्र पवनसुत नामा ॥



महाबीर बिक्रम बजरंगी । कुमति निवार सुमति के संगी ॥

कंचन बरन बिराज सुबेसा । कानन कुंचित केसा ॥



हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै । काँधे मूँज जनेऊ साजै ॥

संकर सुवन केसरीनन्दन । तेज प्रताप महा जग बन्दन ॥



विद्यावान गुनी अति चातुर । राम काज करिबे को आतुर ॥

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया । राम लखन सीता मन बसिया ॥



सूक्ष्म रुप धरि सियाहिं दिखावा । विकट रुप धरि लंक जरावा ॥

भीम रुप धरि असुर सँहारे । रामच्न्द्र के काज सँवारे ॥



लाय सजीवन लखन जियाये । श्रीरधुबीर हरषि उर लाये ॥

रधुपति कीन्ही बहुत बड़ाई । तुम मम प्रिय भरतहि समाचार भाई ॥



सहस बदन तुम्हरों जस गावैं । अस कहीं श्रीपति कंठ लगावैं ॥

सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा । नारद सारद सहित अहीसा ॥



जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते । कबि कोबिद कहीं सके कहाँ ते ॥

तुम उपकार सुग्रीवहिं किन्हा । राम मिलाय राज पद दीन्हा ॥



तुम्हरों मंत्र बिभीषन माना । लंकेस्वर भए सब जग जाना ॥

जुग सहस्त्र जोजन पर भानू । लील्यो ताहि मधुर फल जानू ॥



प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं । जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं ॥

दुर्गम काज जगत के जेते । सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते ॥



राम दुआरे तुम रखवारे । हित न आज्ञा बिनु पैसारे ॥

सब सुख लहै तुम्हारी सरना । तुम रच्छक काहू को डरना ॥



आपन तेज सम्हारो आपै । तीनों लोक हाँक तें काँपै ॥

भूत पिसाच निकट नहिं आवै । महाबीर जब नाम सुनावै ॥



नासै रोग हरै सब पीरा । जपत निरंतर हनुमत बीरा ॥

संकट तें हनुमान छुड़ावै । मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥



सब पर राम तपस्वी राजा । तिन के काज सकल तुम साजा ॥

और मनोरथ जो कोई लावै । सोई अमित जीवन फल पावै ॥



चारों जुग परताप तुम्हारा । है परसिद्ध जगत उजियारा ॥

साधु संत के तुम रखवारे । असुर निकन्दन राम दुलारे ॥



अष्ट सिद्धि लौ निधि के दाता । अस बर दीन जानकी माता ॥

राम रसायन तुम्हरे पासा । सदा रहो रघुपति के दासा ॥



तुम्हरे भजन राम को पावै । जनम जनम के दुख बिसरावै ॥

अंत काल रघुबर पुर जाई । जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई ॥



और देवता चित्त न धरई । हनुमत सेई सर्ब सुख करई ॥

संकट कटै मिटै सब पीरा । जो सुमिरै हनुमत बलबीरा ॥



जै जै जै हनुमान गोसांई । कृपा करहु गुरु देव की नांई ॥

जो सत बार पाठ कर कोई । छोटहि बंदि मह सुख होई ॥



जो यहाँ पढ़ै हनुमान चलीसा । होय सिद्धि साखी गौरीसा ॥

तुलसीदास सदा हरि चेरा । कीजै नाथ हृदय मँह डेरा ॥



दोहा


पवनतनय संकट हरन मंगल मूरति रूप ।

राम लखन सीता सहित हृदय बसहु सुर भूप ॥

॥ सियावर रामचन्द्र की जय ॥

॥ पवनसुत हनुमान की जय ॥

॥ उमापति महादेव की जय ।।

॥ बोलो रे भई सब सन्तन की जय ।।    

Durga Chalisa


Namo Namo Durge Sukh karani, Namo Namo ambe Dukh harani.

Nirakar hai jyoti tumhari, Tihun lok pheli ujayari.

Shashi lalat mukh mahavishala, Netra lal bhrikutee vikarala.

Roop Matu ko adhika suhave, Daras karat jan ati sukh pave.

Tum sansar shakti laya kina, Palan hetu anna dhan dina.

Annapurna hui jag pala, Tumhi adi sundari Bala.

Pralaya kala sab nashan hari, Tum gauri Shiv-Shankar pyari.

Shiv yogi tumhre guna gaven, Brahma Vishnu tumhen nit dhyaven.

Roop Saraswati ko tum dhara, De subuddhi rishi munina ubara.

Dharyo roop Narsimha ko amba, Pragat bhayin phar kar khamba.

Raksha kari Prahlaad bachayo, Hiranakush ko swarga pathayo.

Lakshmi roop dharo jag mahin, Shree Narayan anga samihahin.

Ksheer sindhu men karat vilasa, Daya Sindhu, deeje man asa.

Hingalaja men tumhin Bhavani, Mahima amit na jet bakhani.

Matangi Dhoomavati Mata, Bhuvneshwari bagala sukhdata.

Shree Bhairav lara jog tarani, Chhinna Bhala bhav dukh nivarani.

Kehari Vahan soh Bhavani, Langur Veer Chalat agavani.

Kar men khappar khadag viraje, Jako dekh kal dan bhaje.

Sohe astra aur trishoola, Jase uthata shatru hiya shoola.

Nagarkot men tumhi virajat, Tihun lok men danka bajat.

Shumbhu Nishumbhu Danuja tum mare, Rakta-beeja shankhan samhare.

Mahishasur nripa ati abhimani, Jehi agha bhar mahi akulani.

Roop karal Kalika dhara, Sen Sahita tum tin samhara.

Pan garha Santan par jab jab, Bhayi sahaya Matu tum tab tab.

Amarpuni aru basava loka, Tava Mahirna sab rahen asoka.

Jwala men hai jyoti tumhari, Tumhen sada poojen nar nari.

Prem bhakti se Jo yash gave, Dukh-daridra nikat nahin ave.

Dhyave tumhen jo nar man laee, Janam-maran tako chuti jaee.

Jogi sur-muni kahat pukari, Jog na ho bin shakti tumhari.

Shankar Aacharaj tap keenhon, Kam, krodha jeet sab leenhon.

Nisidin dhyan dharo Shankar ko, Kahu kal nahini sumiro tum ko.

Shakti roop ko maran na payo, Shakti gayi tab man pachitayo.

Sharnagat hui keerti bakhani, Jai jai jai Jagdamb Bhavani.

Bhayi prasanna Aadi Jagdamba, Dayi shakti nahin keen vilamba.

Mokon Matu kashta ati ghero, Tum bin kaun hare dukh mero.

Aasha trishna nipat sataven, Moh madadik sab binsaven.

Shatru nash keeje Maharani, Sumiron ekachita tumhen Bhavani.

Karo kripa Hey Matu dayala, Riddhi-Siddhi de karahu nihala.

Jab lagi jiyoon daya phal paoon, Tumhro yash men sada sunaoon.

Durga Chalisa jo gave,
Sab sukh bhog parampad pave.

श्री दुर्गा चालिसा

 Shri Durga Chalisha in Hindi Text
दुर्गा दुर्गतिहारिणी भवतु नो रत्नोल्लसत्कुडला ।
ध्यानार्थे अक्षतपुष्पाणि समर्पयामि ऊँ श्री दुर्गायै नमै: ॥

 नमो नमो दुर्गे सुख करनी ।  नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ।।
निरंकार है ज्योति तुम्हारी । तिहूँ लोक फ़ैली उजियारी ।।
शशी ललाट मुख महा विशाला । नेत्र लाल भृकुटी विकराला ।।
रुप मातु को अधिक सुहावे । दरश करत जन अति सुख पावे ।।
तुम संसार शक्ति लय कीना । पालन हेतु अन्न धन धन दीना ।।
अन्न्पूर्णा हुई जग पाला । तुम ही आदि सुन्दरी बाला ।।
प्रलयकाल सब नाशन हारी । तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ।।
शिव योगी तुम्हारे गुण गावे । ब्रह्मा विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ।।
रुप सरस्वती का तुम धारा । दे सुबुद्धि ऋषि मुनिन उबारा ।।
धरा रुप नरसिंह को अम्बा । प्रकट भई फ़ाड़ कर खम्बा ।।
रक्षा कर प्रहलाद बचायो । हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो ।।
लक्ष्मी रुप धरो जग माहीं । श्री नारायण अंग समाहीं ।।
क्षीरसिन्धु में करत विलासा । दया सिन्धु दीजै मन आसा ।।
हिंगलाज में तुम्ही भवानी महिमा अमित न जात बखानी ।।
मातंगी धूमावती माता । भूवनेश्वरी बगला सुखदाता ।।
श्री भैरव तारा जग तारणि । छिन्नभाल भव दुःख निवारिणी ।।
केहरि वाहन सोहे भवानी । लांगुर बीर चलत अगवानी ।।
कर में खप्पर खड़्ग विराजै । जाको देख काल डर भाजै ।।
सोहे अस्त्र  और त्रिशूला । जाते उठत शत्रु हिय शूला ।।
नगर कोटि में तुम्ही विराजत । तिहूँ लोक में डंका बाजत ।।
शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे  रक्त बीज शंखन संहारे ।।
महिशासुर नृप अति अभिमानी । जेही अध भार मही अकुलानी ।।
रुप कराल कालिका धारा । सेन सहित तुम तिहि संहारा ।।
परी गाढ़ संतन पर जब जब भई सहाय मातु तुम तब तब ।।
अमर पुरी अरु बासव लोका । तव महिमा सब कहे अशोका ।।
ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी । तुम्हें सदा पूजें नर नारी ।।
प्रेम भक्ति से जो यश गावें । दुःख दरिद्र निकट नही आवे ।।
जोगी सुर नर कहत पुकारी । योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ।।
शंकर आचारज तप कीनो । काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ।।
निशिदिन ध्यान धरो शंकर को । काहु काल नहिं सुमिरो तुमको ।।
शक्ति रुप को मरम न पायो । शक्ति गई तब मन पछतायो ।।
शरणागत हुई कीर्ति बखानी । जय जय जय जगदम्ब भवानी ।।
भई प्रसन्न आदि जगदम्बा । दई शक्ति नहिं कीन बिलम्बा ।।
मोको मात कश्ट अति घेरो । तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो ।।
आशा तृश्णा निपट सतावे । रिपु मूरख मोहि अति डर पावै ।।
शत्रु नाश कीजै महारानी । सुमिरौं एकचित तुम्हें भवानी ।।
करो कृपा हे मातु दयाला । ऋद्धि-सिद्धि दे करहु निहाला ।।
जब लगि जियौ दया फ़ल पाऊं तुम्हरे यश में सदा सुनाऊं ।।
दुर्गा चालीसा जो कोई गावै । सब सुख भोग परम पद पावै ।।
देवीदास शरण निज जानी । करहु कृपा जगदम्ब भवानी ।।
॥ जय माता दी ॥

 

श्री गंगा चालीसा


।। दोहा ।।
जय जय जय जग पावनी, जयति देवसरि गंग ।
जय शिव जटा निवासिनी, अनुपम तुंग तरंग ।।
Glory, all glory to you, sanctifier of the world - to you glory,
Mother Ganga, the sacred river of the gods - to you glory,
The sole dweller among the locks of Shiva – to you victory,
Your bouncing and rippling waves are beautiful positively.

।। चौपाई ।।
जय जय जननी हराना अघखानी। आनंद करनी गंगा महारानी ।।
जय भगीरथी सुरसरि माता। कलिमल मूल डालिनी विख्याता ।।
Accumulated sins’ destroyer and delight of devotees – Glory,
The queen consort among the sacred world streams – Glory,
Bhagirathi - stream of gods and nourishing the world – Glory,
The extirpator of roots of all defilements of Kali age – Glory.

जय जय जहानु सुता अघ हनानी। भीष्म की माता जगा जननी ।।
धवल कमल दल मम तनु सजे। लखी शत शरद चंद्र छवि लजाई ।।
Jahnavi, the destroyer of sins, all glory to you – Glory,
Bhishma’s Mother, source of world’s nourishment – Glory,
Your fair body delicate as petals of white lotuses – Glory,
Like a hundred autumn moons is abashed your beauty.

वहां मकर विमल शुची सोहें। अमिया कलश कर लखी मन मोहें ।।
जदिता रत्ना कंचन आभूषण। हिय मणि हर, हरानितम दूषण ।।
Your vehicle, the crocodile is perfect, sacred and elegent truly,
The urn filled with ambrosia in your hand is spellbinding surely,
Your gold ornaments are studded with precious gems beautifully,
The diamond necklace on your bosom is spotless without impurity.

जग पावनी त्रय ताप नासवनी। तरल तरंग तुंग मन भावनी ।।
जो गणपति अति पूज्य प्रधान। इहूँ ते प्रथम गंगा अस्नाना ।।
The Purifier of the world and destroyer of sins to you glory,
Your flowing, leaping waves are ever so alluring majestically,
Ganesh, Lord of Shiva’s henchmen, among gods is prime truly,
But bathing in the Ganga takes precedence over him certainly.

ब्रम्हा कमंडल वासिनी देवी। श्री प्रभु पद पंकज सुख सेवि ।।
साथी सहस्त्र सागर सुत तरयो। गंगा सागर तीरथ धरयो ।।
O Goddess, you dwell in the kamandala of Brahma certainly,
The pot made of earth or wood which he perpetually carries,
You descend to worship Vishnu’s lotus feet, happiness giver truly,
You absolve the sins of Sagara’s sons making Gangasagara holy.

अगम तरंग उठ्यो मन भवन। लखी तीरथ हरिद्वार सुहावन ।।
तीरथ राज प्रयाग अक्षैवेता। धरयो मातु पुनि काशी करवत ।।
You are filled with pleasurable, sensations and mystery,
Behold the pilgrimage of sacred Haridwar’s scenic beauty,
Along your banks is Prayag with Akshayavata, the most holy,
When you reversed your course Kashi became a place holy.

धनी धनी सुरसरि स्वर्ग की सीधी। तरनी अमिता पितु पड़ पिरही ।।

भागीरथी ताप कियो उपारा। दियो ब्रह्म तव सुरसरि धारा ।।
Blessed, all blessed are you, the stream of gods - certainly,
A leader to heaven and countless generations’ redeemer truly,
When Bhagirath performed the most rigorous known penance worldly,
Brahma blessed him with the You – the celestial stream heavenly.

जब जग जननी चल्यो हहराई। शम्भु जाता महं रह्यो समाई ।।
वर्षा पर्यंत गंगा महारानी। रहीं शम्भू के जाता भुलानी ।।
World’s provider, when you flowed with torrents forcefully,
Shambhu in his hair locks then kept you preventively,
For a whole year Great Empress you then undoubtedly,
Remained imperceptible, invisible and lost therein totally.

पुनि भागीरथी शम्भुहीं ध्यायो। तब इक बूंद जटा से ll
पायोताते मातु भें त्रय धारा। मृत्यु लोक, नाभा, अरु पातारा ।।
Then Bhagirath again meditated on Shambhu appealingly,
And Shambhu released a lock of your holy water ultimately,
From wherein you swelled into three streams eventually,
Flowing in the mortals, celestials and nether world finally.

गईं पाताल प्रभावती नामा। मन्दाकिनी गई गगन ललामा ।।
मृत्यु लोक जाह्नवी सुहावनी। कलिमल हरनी अगम जग पावनि ।।
The one flowing in the nether world is called Prabhavati lovingly,
The other flowing through heaven is known as Mandakini fondly,
In this mortals’ world the third is the beauteous Jahnavi caringly,
Who removes evils of Kali age, cleansing the world mysteriously.

धनि मइया तब महिमा भारी। धर्मं धुरी कलि कलुष कुठारी ।।
मातु प्रभवति धनि मन्दाकिनी। धनि सुर सरित सकल भयनासिनी ।।
O Mother you are ever blessed and illustrious abundantly,
Pivot of righteousness and axe to destroy Kali age sins truly,
Blessed, all blessed are all the three streams unquestionably,
Dispelling dread – Divine Ganga, Prabhavati and Mandakini.

पन करत निर्मल गंगा जल। पावत मन इच्छित अनंत फल ।।
पुरव जन्म पुण्य जब जागत। तबहीं ध्यान गंगा महँ लागत ।।
Who sips Ganga’s water in all its unpolluted element holy,
Is rewarded with success, fulfilment of desires and purity,
But with virtuous deeds fruition in the previous birth only,
Can anyone turn one’s mind to Ganga comprehensively.

जई पगु सुरसरी हेतु उठावही। तई जगि अश्वमेघ फल पावहि ।।
महा पतित जिन कहू न तारे। तिन तारे इक नाम तिहारे ।।
As soon as a person steps out towards the river holy,
He is rewarded with fruits of a horse-sacrifice clearly,
Your name delivers even the damned and fallen surely,
Whom none else could ever have liberated indisputably.

शत योजन हूँ से जो ध्यावहिं। निशचाई विष्णु लोक पद पावहीं ।।
नाम भजत अगणित अघ नाशै। विमल ज्ञान बल बुद्धि प्रकाशे ।।
Even those who remember you from a distance reverently,
Are granted a place in the realm of Lord Vishnu undoubtedly,
Countless sins are washed with your name repeated earnestly,
And radiance of unsullied knowledge and wit is blessed actually.

जिमी धन मूल धर्मं अरु दाना। धर्मं मूल गँगाजल पाना ।।
तब गुन गुणन करत दुःख भाजत। गृह गृह सम्पति सुमति विराजत ।।
As the original source of affluence is religious rite and charity,
So a sip of water from Ganga – source of dharma and honesty.
Evils flee and homes fill with radiance of affluence and morality,
When, Mother, your praises are sung with rapture and sincerity.

गंगहि नेम सहित नित ध्यावत। दुर्जनहूँ सज्जन पद पावत ।।
उद्दिहिन विद्या बल पावै। रोगी रोग मुक्त हवे जावै ।।
Who remembers holy Ganga and worships regularly,
Become noble persons even if he was wicked initially,
Even the witless fools get knowledge comprehendingly,
And the sick are cured of all the infirmities indubitably.

गंगा गंगा जो नर कहहीं। भूखा नंगा कभुहुह न रहहि ।।
निकसत ही मुख गंगा माई। श्रवण दाबी यम चलहिं पराई ।।
He who chants the name of Ganga with authenticity,
Never is starved nor remains unclothed positively,
As soon as he utters the name of Ganga genuinely,
Yama – God of death, hides and flees instantaneously.

महँ अघिन अधमन कहं तारे। भए नरका के बंद किवारें ।।
जो नर जपी गंग शत नामा।। सकल सिद्धि पूरण ह्वै कामा ।।
Ever since you delivered many a great sinner personally,
The doorways to hell have been closed for them finally,
He who ever repeats your hundred names devotedly,
Finds his desires fulfilled and attains to all prosperity.

सब सुख भोग परम पद पावहीं। आवागमन रहित ह्वै जावहीं ।।
धनि मइया सुरसरि सुख दैनि। धनि धनि तीरथ राज त्रिवेणी ।।
He enjoys all life’s blessings attains supreme state undauntedly,
And is delivered from life and death’s endless cycle ultimately,
Blessed are you Ganga, the celestial stream, happiness surely,
And blessed is Triveni, at Prayag, the holiest of the very holy.

ककरा ग्राम ऋषि दुर्वासा। सुन्दरदास गंगा कर दासा ।।
जो यह पढ़े गंगा चालीसा। मिली भक्ति अविरल वागीसा ।।
This hymn is composed by Sundardas a Ganga devotee,
In the hermitage of the sage Durvasa, of Kakara lovingly,
He who reads this hymn to Mother Ganga earnestly,
Receives as Munindra uninterrupted devotion and purity.

।। दोहा ।।
नित नए सुख सम्पति लहैं। धरें गंगा का ध्यान ।।
अंत समाई सुर पुर बसल। सदर बैठी विमान ।।

Navagraha Chalisa

 
Shri Ganpati gurupad kamal prem sahit shri nay, Navgarh chalisa kahat sharad hou sahay

Pratnmahin Ravi kahaun navaun-matha, Karhu kripa jan jani anatha

He Aditya Divakar Bhanti, Main mati mand maha agyanti

Ab nij jan kahaun harhu kalesha, Dinkar dvadash rup dinesha

Namo Bhaskar Surya prabhakar, Ark mitra adh aodh chhmakar

Shashi mayank Rajanipati svami, Chandr kalanidhi namo namami

Rakapati Himanshu rakesha, Pranvat jain nij harhu kalesha

Som indu vidhu shanti sudhakar, Shit rashi aoushdhi nishakar

Tumhin shobhit bhal Mahesha, sharam sharam janharhu kalsha

jai jai jai mangal sukhadata, lohit bhoumadik vikhyata

angarak karhu ruj ranhari, daya karhu yahi vinay hanmari

He mahisut chhaitsut sukhasi, johitang jag jan adhnasi

agam amangal men her lije, sakaal manorth puran kije

Jai shashinandan budhs maharaja, karhu sakal jan ke shubh kaja

dije buhdi sumati bal gyana, kathin kasht hari kari kalayana

he tarasut rihini nandan, chandra suvan dukh duri nikandan

Pujhu aas das kahun svami, Panat pal prabhu namo namami

Jayanti jayanti jai shri guru deva, Karun sada tumhari prrbhu seva

devacharya dev guru gyani, Indra puroit vidhya dani

vaschapati vagis udara, he prabhu brahapati nam tumhara

vidhya sindhu angira nama, karhu sakal vidi puran kama

Shukadev tav pad jai jata, Das nirantar dhyan lagata

He ushana bharagav bhrugunandan, daitya purohit dusht nikandan

bhrugukal bhuhan dushan hari, harhu nesht garh karhu sukhari

tuhi pandit joshi dvijraja, tumhare rahat sahat sub kaja

Jai shri shani dev ravi nandan, Jai krishane souri jagvandan

Pingal mand roundra yam nama, vadhru aadi konasthallama

Bakra dhrashti pippal tan saja, chhan mahun karat rank ko raja

latat swarn pad karat nihala, karhu vijay chhaye ke lala

Jai jai rahu gagan pravisaiya, tumhi chandraditya grasaiya

ravi shashi ari savahanu thara, shikhi adi bahu nam tumhare

saihinkey nishacher raja, ardhakay tum rakhahu laja

yadi garh samy a pap khun abahu, sada shanti rahi sukh upjavahu

Jai jai ketu kathin dukhhari, nij jan hetu sumangalkari

dviyut rund rup vikrala, ghor round tan adh man kala

shiki tarika hgath balvana, maha pratab na tej thikana

van min maha shubhkari, dijai shanti daya ur dhari

tirathaj prayag supasa, basai Ramke sundar dasa

kakra gramhin 'pure-tiwari', durvasasvan jan dukh hari

nav-garh shanti likhyi sutu, jan tan kasht utaran setu

jo nit path kai chit lavai, sub sukh bhogi param pad pavai

Doha

Dhanya naygarh devprabhu
mahima agam apar
nit nav mangal mod garh
jagat janan sukhdhar

श्री साईं के 108 नाम


1. ॐ श्री साई नाथाय नमः
2. ॐ श्री साई लक्ष्मीनारायनाय नमः
3. ॐ श्री साई कृष्णरामशिव मारुत्यादिरुपाय नमः
4. ॐ श्री साई शेषशायिने नमः
5. ॐ श्री साई गोदावरीतट शीलधीवासिने नमः
6. ॐ श्री साई भक्तहृदालयाय नमः
7. ॐ श्री साईं सर्वहन्नीललाय नमः
8. ॐ श्री साई भूतवासाय नमः
9. ॐ श्री साई भूतभविष्यदभाववार्जिताय नमः
10. ॐ श्री साई कालातीताय नमः
11. ॐ श्री साई कालाय नमः
12. ॐ श्री साई कालकालाय नमः
13. ॐ श्री साई कालदर्पदमनाय नमः
14. ॐ श्री साई मृत्युंजय नमः
15. ॐ श्री साई अमर्त्याय नमः
16. ॐ श्री साई मत्यभयप्रदाय नमः
17. ॐ श्री साई जीवाधाराय नमः
18. ॐ श्री साई सर्वाधाराय नमः
19. ॐ श्री साई भक्तावनसमर्थाय नमः
20. ॐ श्री साई भक्तावन प्रतिज्ञान नमः
21. ॐ श्री साई अन्नवस्त्रदाय नमः
22. ॐ श्री साई आरोग्यक्षेमदाय नमः
23. ॐ श्री साई धनमांगल्यप्रदाय नमः
24. ॐ श्री साई रिद्धिसिद्धिदाय नमः
25. ॐ श्री साई पुत्रमित्रकलबन्धुदाय नमः
26. ॐ श्री साई योगक्षेमवहाय नमः
27. ॐ श्री साई आपद् बान्धवाय नमः
28. ॐ श्री साई मार्गबन्धवे नमः
29. ॐ श्री साई भुक्तिमुक्ति स्वर्गापवर्गदाय नमः
30. ॐ श्री साई प्रियाय नमः
31. ॐ श्री साई प्रीति वर्धनाय नमः
32. ॐ श्री साई अंतर्यामिने नमः
33. ॐ श्री साई सच्चिदात्मने नमः
34. ॐ श्री साई नित्यानंदाय नमः
35. ॐ श्री साई परमसुखदाय नमः
36. ॐ श्री साई परमेश्वराय नमः
37. ॐ श्री साई परब्रह्मणे नमः
38. ॐ श्री साई परमात्मने नमः
39. ॐ श्री साई ज्ञानस्वरूपिणे नमः
40. ॐ श्री साई जगतपित्रे नमः
41. ॐ श्री साई भक्तानां मात्रुधात्रूपितामहाय नमः
42. ॐ श्री साई भक्ताभयप्रदाय नमः
43. ॐ श्री साई भक्तपराधीनाय नमः
44. ॐ श्री साई भक्तानुग्रहकातराय नमः
45. ॐ श्री साई शरणागतवत्सलाय नमः
46. ॐ श्री साई भक्तिशक्तिप्रदाय नमः
47. ॐ श्री साई ज्ञानवैराग्यदाय नमः
48. ॐ श्री साई प्रेमप्रदाय नमः
49. ॐ श्री साई संशय ह्रदय दौर्बल्य पापकर्म नमः
50. ॐ श्री साई ह्रदयग्रंथिभेदकाय नमः
51. ॐ श्री साई कर्मध्वंसिने नमः
52. ॐ श्री साई शुद्ध सत्वस्थिताय नमः
53. ॐ श्री साई गुणातीत गुणात्मने नमः
54. ॐ श्री साई अनंत कल्याणगुणाय नमः
55. ॐ श्री साई अमितपराक्रमाय नमः
56. ॐ श्री साई जयिने नमः
57. ॐ श्री साई दुर्धर्षाक्षोभ्याय नमः
58. ॐ श्री साई अपराजिताय नमः
59. ॐ श्री साई त्रिलोकेशु अविघातगतये नमः
60. ॐ श्री साईं अशक्यरहिताय नमः
61. ॐ श्री साईं सर्वशक्तिमुर्तये नमः
62. ॐ श्री साईं सुरूपसुन्दराय नमः
63. ॐ श्री साईं सुलोचनाय नमः
64. ॐ श्री साईं बहुरूपविश्वमुर्तये नमः
65. ॐ श्री साईं अरूपाव्यक्ताय नमः
66. ॐ श्री साईं अचिन्त्याय नमः
67. ॐ श्री साईं सूक्ष्माय नमः
68. ॐ श्री साईं सर्वन्तार्यामिने नमः
69. ॐ श्री साईं मनोवागतीताय नमः
70. ॐ श्री साईं प्रेममूर्तये नमः
71. ॐ श्री साईं सुलभदुर्लभाय नमः
72. ॐ श्री साईं असहायसहायाय नमः
73. ॐ श्री साईं अनाथनाथदीनबन्धवे नमः
74. ॐ श्री साईं सर्वभारभ्रुते नमः
75. ॐ श्री साईं अकर्मानेककर्मसुकर्मिने नमः
76. ॐ श्री साईं पुण्यश्रवणकीर्तनाय नमः
77. ॐ श्री साईं तीर्थाय नमः
78. ॐ श्री साईं वासुदेवाय नमः
79. ॐ श्री साईं सतांगतये नमः
80. ॐ श्री साईं सत्परायनाय नमः
81. ॐ श्री साईं लोकनाथाय नमः
82. ॐ श्री साईं पावनान्घाय नमः
83. ॐ श्री साईं अम्रुतांशवे नमः
84. ॐ श्री साईं भास्करप्रभाय नमः
85. ॐ श्री साईं ब्रह्मचर्य तपश्चर्यादि सुव्रताय नमः
86. ॐ श्री साईं सत्यधर्मंपरायनाय नमः
87. ॐ श्री साईं सिद्धेश्वराय नमः
88. ॐ श्री साईं सिद्धसंकल्पाय नमः
89. ॐ श्री साईं योगेश्वराय नमः
90. ॐ श्री साईं भगवते नमः
91. ॐ श्री साईं भक्तवत्सलाय नमः
92. ॐ श्री साईं सत्पुरुषाय नमः
93. ॐ श्री साईं पुरुषोत्तमाय नमः
94. ॐ श्री साईं सत्यतत्त्वबोधकाय नमः
95. ॐ श्री साईं कामदिषड्वैरिध्वंसिने नमः
96. ॐ श्री साईं अभेदानंदानुभवप्रदाय नमः
97. ॐ श्री साईं समसर्वमतसमताय नमः
98. ॐ श्री साईं दक्षिणामूर्तये नमः
99. ॐ श्री साईं वेन्कतेशरमनाय नमः
100. ॐ श्री साईं अदभुतानन्तचर्याय नमः
101. ॐ श्री साईं प्रपन्नार्तिहराय नमः
102. ॐ श्री साईं संसारसर्वदुःखक्षयकराय नमः
103. ॐ श्री साईं सर्ववित्सर्वतोमुखाय नमः
104. ॐ श्री साईं सर्वान्तर्बहि: स्थिताय नमः
105. ॐ श्री साईं सर्वमंगलकराय नमः
106. ॐ श्री साईं सर्वाभीष्टप्रदाय नमः
107. ॐ श्री साईं समरससनमार्गस्थापनाय नमः
108. ॐ श्री साईं समर्थ सदगुरु साईनाथाय नमः

108 Names of Lord SatyaNarayana

  • Om Satyadevaya Namaha
  • Om Satyatmane Namaha
  • Om Satyabhuutaya Namaha
  • Om Satyapurushhaya Namaha
  • Om Satyanathaya Namaha
  • Om Satyasaxine Namaha
  • Om Satyayogaya Namaha
  • Om Satyagyanaya Namaha
  • Om Satyagyanapriyaya Namaha
  • Om Satyanidhaye Namaha
  • Om Satyasambhavaya Namaha
  • Om Satyaprabhuve Namaha
  • Om Satyeshvaraya Namaha
  • Om Satyakarmane Namaha
  • Om Satyapavitraya Namaha
  • Om Satyama.Ngalaya Namaha
  • Om Satyagarbhaya Namaha
  • Om Satyaprajapataye Namaha
  • Om Satyavikramaya Namaha
  • Om Satyasiddhaya Namaha
  • Om Satyachyutaya Namaha
  • Om Satyaviiraya Namaha
  • Om Satyabodhaya Namaha
  • Om Satyadharmaya Namaha
  • Om Satyagrajaya Namaha
  • Om Satyasa.Ntushhtaya Namaha
  • Om Satyavarahaya Namaha
  • Om Satyaparayanaya Namaha
  • Om Satyapuurnaya Namaha
  • Om Satyaushhadhaya Namaha
  • Om Satyashashvataya Namaha
  • Om Satyapravardhanaya Namaha
  • Om Satyavibhave Namaha
  • Om Satyajyeshhthaya Namaha
  • Om Satyashreshhthaya Namaha
  • Om Satyavikramine Namaha
  • Om Satyadhanvine Namaha
  • Om Satyamedhaya Namaha
  • Om Satyadhiishaya Namaha
  • Om Satyakratave Namaha
  • Om Satyakalaya Namaha
  • Om Satyavatsalaya Namaha
  • Om Satyavasave Namaha
  • Om Satyameghaya Namaha
  • Om Satyarudraya Namaha
  • Om Satyabrahmane Namaha
  • Om SatyamrItaya Namaha
  • Om SatyavedanGaya Namaha
  • Om Satyachaturatmane Namaha
  • Om Satyabhoktre Namaha
  • Om Satyashuchaye Namaha
  • Om Satyarjitaya Namaha
  • Om Satye.Ndraya Namaha
  • Om Satyasa.Ngaraya Namaha
  • Om Satyasvargaya Namaha
  • Om Satyaniyamaya Namaha
  • Om Satyamedhaya Namaha
  • Om Satyavedyaya Namaha
  • Om Satyapiiyuushhaya Namaha
  • Om Satyamayaya Namaha
  • Om Satyamohaya Namaha
  • Om Satyasurana.Ndaya Namaha
  • Om Satyasagaraya Namaha
  • Om Satyatapase Namaha
  • Om Satyasi.Nhaya Namaha
  • Om SatyamrIgaya Namaha
  • Om Satyalokapalakaya Namaha
  • Om Satyasthitaya Namaha
  • Om Satyadikpalakaya Namaha
  • Om Satyadhanurdharaya Namaha
  • Om Satyambujaya Namaha
  • Om Satyavakyaya Namaha
  • Om Satyagurave Namaha
  • Om Satyanyayaya Namaha
  • Om Satyasaxine Namaha
  • Om Satyasa.NvrItaya Namaha
  • Om Satyasampradaya Namaha
  • Om Satyavahnaye Namaha
  • Om Satyavayuve Namaha
  • Om Satyashikharaya Namaha
  • Om Satyana.Ndaya Namaha
  • Om Satyadhirajaya Namaha
  • Om Satyashriipadaya Namaha
  • Om Satyaguhyaya Namaha
  • Om Satyodaraya Namaha
  • Om SatyahrIdayaya Namaha
  • Om Satyakamalaya Namaha
  • Om Satyanalaya Namaha
  • Om Satyahastaya Namaha
  • Om Satyabahave Namaha
  • Om Satyamukhaya Namaha
  • Om Satyajihvaya Namaha
  • Om Satyadau.Nshhtraya Namaha
  • Om Satyanashikaya Namaha
  • Om Satyashrotraya Namaha
  • Om Satyachakase Namaha
  • Om Satyashirase Namaha
  • Om Satyamukutaya Namaha
  • Om Satyambaraya Namaha
  • Om Satyabharanaya Namaha
  • Om Satyayudhaya Namaha
  • Om Satyashrivallabhaya Namaha
  • Om Satyaguptaya Namaha
  • Om Satyapushkaraya Namaha
  • Om Satyadhridaya Namaha
  • Om Satyabhamavatarakaya Namaha
  • Om SatyagrIharupine Namaha
  • Om Satyapraharanayudhaya Namaha

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