Durga ji

Durga, in Sanskrit means "She who is incomprehensible or difficult to reach." Goddess Durga is a form of Sakti worshiped for her gracious as well as terrifying aspect. Mother of the Universe, she represents the infinite power of the universe and is a symbol of a female dynamism. The manifestation of Goddess Durga is said to emerge from Her formless essence and the two are inseparable.

108 Names of Hanuman Ji

Lord Hanuman is the epitome of devotion and dedication towards his Lord Rama. Shri Hanuman is considered as the avatar or incarnation of Lord Shiva. Hanuman is also known as the Monkey God,

vishu ji

Vishnu is one of the three main gods in Hinduism. Vaishnavas believe that Vishnu is the highest God. Vishnu is the preserver god, which means he protects the earth from being destroyed and keeps it going, according to this religion, and he has come to earth in nine forms (called avatars) so far, with one yet to come. His most famous forms are Rama and Krishna. Vishnu’s wife is Lakshmi, the Hindu goddess of fortune.Vishnu is usually shown with light blue skin and four arms.

Shri krishna the person

The Vedas say Krishna is the original person, but that He always appears young and attractive. He knows everything, He contains all of reality, and all other living beings are His inseparable parts. He is the all-powerful, supreme controller of all energies.

bhagwat geet updesh

Gita made little religious impact until Shankaracharya's commentary appeared. From this time onward, it had an important influence on Hinduism. Krishna, presented in the poem as Vishnu in the flesh, is the spiritual teacher who recited the Gita. The Bhagvad-Gita consists of a dialogue between Krishna and Arjun on the battlefield of Kurukshetra.

Tuesday, February 12, 2013

आरती गंगे माता की

ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता ।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता ॥
ॐ जय गंगे माता ।
चंद्र सी ज्योति तुम्हारी, जल निर्मल आता ।
शरण पड़े जो तेरी , सो नर तर जाता ॥
ॐ जय गंगे माता ।
पुत्र सगर के तारे, सब जग को ज्ञाता ।
कृपा दृष्टि हो तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता ॥
ॐ जय गंगे माता ।
एक ही बार जो तेरी, शरण गति आता ।
यम की त्रास मिटाकर, परमगति पाता ॥
ॐ जय गंगे माता ।
आरति मातु तुम्हारी, जो नर नित गाता ।
दास वही सहज में, मुक्ति को पाता ॥
ॐ जय गंगे माता, मैया जय गंगे माता ।

श्री तुलसी जी की आरती

जय जय तुलसी  माता,
सबकी सुखदाता वर माता |

सब योगों के ऊपर,
सब रोगों के ऊपर,
रज से रक्षा करके भव त्राता |

बहु पुत्री है श्यामा, सूर वल्ली है ग्राम्या,
विष्णु प्रिय जो तुमको सेवे सो नर तर जाता |

हरि के शीश विराजत त्रिभुवन से हो वंदित,
पतित जनों की तारिणि तुम हो विख्याता |

लेकर जन्म बिजन में, आई दिव्य भवन में,
मानव लोक तुम्हीं से सुख संपति पाता |

हरि को तुम अति प्यारी श्याम वर्ण सुकुमारी,
प्रेम अजब है श्री हरि का तुम से नाता |

जय जय तुलसी माता |


आरती काली माता की


अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली |
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ||
तेरे भक्त जनों पे माता, भीर पड़ी है भारी |
दानव दल पर टूट पडो माँ, करके सिंह सवारी ||
सौ सौ सिंहों से तु बलशाली, दस भुजाओं वाली |
दुखिंयों के दुखडें निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ||
माँ बेटे का है इस जग में, बडा ही निर्मल नाता |
पूत कपूत सूने हैं पर, माता ना सुनी कुमाता ||
सब पर करुणा दरसाने वाली, अमृत बरसाने वाली |
दुखियों के दुखडे निवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ||
नहीं मांगते धन और दौलत, न चाँदी न सोना |
हम तो मांगे माँ तेरे मन में, इक छोटा सा कोना ||
सबकी बिगडी बनाने वाली, लाज बचाने वाली |
सतियों के सत को संवारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ||
अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली |
तेरे ही गुण गायें भारती, ओ मैया हम सब उतारें तेरी आरती ||

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